🎙️ अदृश्य शक्ति न्यूज़ के नए एपिसोड में आज हम आपको लिए चलते हैं एक ऐसी अदृश्य विरासत की ओर, जो इतिहास के पन्नों में तो दब गई, लेकिन अपने चुपचाप खड़े अवशेषों से आज भी गवाही देती है कि वो वक्त कैसा रहा होगा।

📍 मध्यप्रदेश के कटनी जिले की तहसील विजयराघवगढ़ से करीब 18 किलोमीटर दूर, कारीतलाई गांव के समीप स्थित है — ‘विष्णु वराह स्थल’। यह स्थान भारत सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है और यह न सिर्फ एक पुरातन स्थल है, बल्कि आध्यात्मिकता और लोक मान्यताओं का केंद्र भी बना हुआ है।
यहाँ प्रवेश करते ही एक लोहे के गेट से बंद पुरानी बावली दिखाई देती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इसे आम लोगों की पहुँच से बचाकर संरक्षित किया गया है। जैसे-जैसे अदृश्य शक्ति न्यूज़ की टीम आगे बढ़ी, कई खंडित मूर्तियां और नक्काशीदार पत्थर दिखाई दिए — जिन पर हिंदू देवी-देवताओं की गहराई से उकेरी गई आकृतियाँ आज भी जीवंत प्रतीत होती हैं।
🔱 सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण यहां पर स्थित ‘शुमारबरह’ की विशाल मूर्ति है, जो पहाड़ी की ऊँचाई पर स्थित है। स्थानीय लोगों की मान्यता के अनुसार, अंग्रेजों के शासनकाल में यह मूर्ति निरंतर बढ़ रही थी। लेकिन इसे रोकने के लिए अंग्रेज अधिकारियों ने मूर्ति के माथे में लोहे की कील ठोक दी — तभी से इसका आकार बढ़ना बंद हो गया।
🧭 यह भी मान्यता है कि जिस दिशा में मूर्ति का मुख है, उसी ओर मैहर की माँ शारदा देवी विराजमान हैं। कहते हैं, यह मूर्ति वहीं से उन्हें नमन करती है और श्रद्धालु भी यही मानते हैं कि इस मूर्ति की टांगों के बीच से निकलना केवल वही कर सकता है, जिसकी श्रद्धा सच्ची हो।

📽️ हमारी टीम ने भी इस परख को आजमाया — दो बार असफलता के बाद तीसरी बार सफलता मिली। यह एक ऐसा अनुभव था, जिसे शब्दों में बयां करना कठिन है। वहाँ मौजूद कई श्रद्धालु भी इसी विश्वास के साथ बार-बार आते हैं, मन्नत मांगते हैं और इस अदृश्य विरासत से जुड़ते हैं।
📚 पुरातत्वीय दृष्टिकोण से देखें तो यह स्थान कभी एक विशाल मंदिर या महल रहा होगा, जिसके भग्नावशेष आज भी उसकी भव्यता की कहानी सुनाते हैं। यहाँ की चट्टानों पर उकेरी गई कला, धर्म और स्थापत्य का बेजोड़ उदाहरण है।
🧓 स्थानीय दार्शनिक जनों से बातचीत में पता चला कि यहाँ पर साल में एक बार मेला भी आयोजित किया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में लोग आते हैं। पूजा, दर्शन और इतिहास से जुड़ने का यह संगम आज भी जारी है।
📡 इस अदृश्य शक्ति न्यूज़ की विशेष रिपोर्ट में हमारे संपादक श्री जानकी प्रसाद विश्वकर्मा ने न केवल स्थल का भ्रमण किया, बल्कि स्थानीय लोगों की भावनाओं, विश्वासों और स्मृतियों से जुड़े उन पहलुओं को भी उजागर किया, जो कहीं किताबों में नहीं मिलते।
🎬 तो जुड़िए हमारे इस खास एपिसोड में और जानिए उस इतिहास को, जो अब भी जीवित है — बस उसे महसूस करने की जरूरत है।
📺 केवल अदृश्य शक्ति न्यूज़ पर।