✨ ईमानदार पहल का असर: छात्रावासों में अब मिलेगा मेस का लाभ, कटनी के अशोक विश्वकर्मा जी की पहल लाई रंग
कटनी, मध्यप्रदेश।
अगर जनप्रतिनिधि वास्तव में जनसेवा को अपने कर्तव्यों का हिस्सा मान लें, तो व्यवस्था में बदलाव आना तय है। कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश किया है कटनी जिला पंचायत के उपाध्यक्ष एवं जिला शिक्षा समिति के सभापति अशोक विश्वकर्मा ने। छात्रावासों में रह रही छात्राओं की कठिनाइयों को गंभीरता से लेकर उन्होंने न सिर्फ आवाज़ उठाई, बल्कि उसके पीछे निरंतर प्रयास करते हुए अब सकारात्मक परिणाम भी लाए हैं।

🗓️ 14 जून 2025 की पहल बनी बदलाव की नींव
कटनी जिले में संचालित छात्रावासों में मेस की सुविधा का अभाव लम्बे समय से बना हुआ था। इसका सबसे अधिक असर छात्राओं पर पड़ रहा था, जिन्हें खुद अपने घर से राशन लाकर भोजन की व्यवस्था करनी पड़ती थी। इससे उनका अधिकांश समय भोजन बनाने में ही चला जाता, जिससे उनका अध्ययन प्रभावित होता था।
इस गंभीर समस्या को देखते हुए श्री अशोक विश्वकर्मा ने 14 जून को प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री एवं कटनी जिले के प्रभारी मंत्री राव उदय प्रताप सिंह को पत्र लिखकर छात्रावासों में मेस की व्यवस्था कराए जाने की मांग की थी। यह पत्र सिर्फ एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं था, बल्कि छात्राओं के भविष्य को ध्यान में रखकर किया गया एक ईमानदार प्रयास था।
✅ 4 जुलाई 2025 को मिली सफलता: सरकार ने दी मेस को मंज़ूरी
लगातार प्रयासों का ही परिणाम था कि अब इस मांग को प्रदेश सरकार ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के छात्रावासों में मेस संचालन की स्वीकृति दे दी गई है।

सरकार द्वारा इसके लिए 31 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है, जिससे अब कटनी सहित पूरे प्रदेश के ऐसे विभागीय छात्रावासों में निवासरत विद्यार्थियों को मेस की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। इससे न केवल छात्राओं की परेशानियाँ कम होंगी, बल्कि वे अपना ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित कर सकेंगी।
🙏 मुख्यमंत्री के प्रति जताया आभार
इस फैसले के बाद जिला पंचायत उपाध्यक्ष अशोक विश्वकर्मा ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विभागीय मंत्री और प्रभारी मंत्री का आभार जताया और कहा कि –
“यह केवल एक सुविधा की मंजूरी नहीं, बल्कि हमारी बेटियों के भविष्य को संवारने की दिशा में बड़ा कदम है। हम तभी अपने कर्तव्यों के प्रति सच्चे कहलाएंगे जब ऐसे छोटे-छोटे मगर जरूरी मुद्दों को गंभीरता से लें।”
📌 निष्कर्ष:
कटनी में शुरू हुई एक ईमानदार पहल अब पूरे प्रदेश के छात्रावासों के बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने जा रही है। अशोक विश्वकर्मा जैसे जनप्रतिनिधि यह साबित करते हैं कि अगर सोच सही हो और नीयत साफ, तो बदलाव सिर्फ मुमकिन नहीं, बल्कि निश्चित होता है।